कैसे आती है घर में सुख, संपति और समृद्धि
?
इस दुनिया में हर व्यक्ति यह चाहता है कि
उसके घर में सुख शांति हो धन-धान्य की कमी न हो बच्चे गुणवान और विद्वान बने घर में बरकत हो लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। हालांकि मेरा यह मानना है कि कर्म सबसे प्रधान है हमारा
सम्पूर्ण जीवन पिछले जन्मों के कर्मफल एवं वर्तमान कर्मों पर निर्भर करता है
लेकिन फिर भी कई बातें ऐसी होती हैं जिनको अपनाने से घर की दशा में अभूतपूर्व बदलाव आता है। ऐसी ही कुछ
बातों का उल्लेख मैं करने जा रहा हूँ।
1.
सर्वप्रथम कुलगुरु की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा ना करने से पित्र भी रूठे
रहते हैं। जिससे पित्रदोष बना रहता है परिणाम स्वरूप सुख का अभाव रहता है। अतः
कुलगुरु की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
2.
कुलगुरु के बाद गुरु की पूजा अवश्य करनी चाहिए। यहाँ यह ध्यान देने योग्य बात
है कि आप कुलगुरु को ही अपना गुरु मानते हैं अथवा किसी अन्य को। कुलगुरु पूरे
परिवार का एक ही होता है परंतु गुरु अलग अलग हो सकते हैं।
3.
शास्त्रों के मतानुसार पत्नी को सुबह पति से पहले उठ जाना चाहिए अगर किसी
कारणवश ऐसा संभव न हो तो कम से कम दोनों एक समय पर अवश्य उठ जाएँ।
4.
घर में नारियों को उचित सम्मान दें जहां नारियों के साथ अभद्र भाषा बोली जाती
है अथवा उन्हे शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है वहाँ सुख नहीं हो
सकता।
5.
घर में आवश्यकता से अधिक भगवान की अथवा देवी देवताओं की तस्वीरें या मूर्तियाँ न रखें।
केवल उतनी ही हों जिनका उचित सम्मान किया जा सके। ड्राइंग रूम में अथवा जहां अक्सर
बाहर के लोग आते जाते हैं वहाँ पवित्र मूर्तियाँ
अथवा तस्वीरें नहीं रखनी चाहिए।
6.
यदि पति व पत्नी अलग अलग रुचि वाले देवी देवता को मानते हैं तो वहाँ कुछ न कुछ अभाव अवश्य बना रहता है।
7.
यदि पति के पूजा करते समय पत्नी सोई हुई हो अथवा पत्नी की पूजा के समय पति
सोया हुआ हो तो वहाँ सुख का अभाव रहता है।
8.
जिस घर में पति पत्नी एक साथ प्रेम से सात्विक भोजन करते हों एक साथ
सोते हों तथा एक साथ पवित्र मन से पूजा करते हों। वहाँ सारे कष्ट दूर हो जाते हैं
तथा देवी देवताओं का निवास होता है इस में तनिक भी
संदेह नहीं है। इसके विपरीत यदि किसी घर में इन तीनों
में से एक भी कार्य पति पत्नी एकसाथ न करते हों तो वहाँ सुख संभव नहीं है। अतः
साधारण जीवन के लिए भी कम से कम तीन में से दो कार्य एकसाथ अवश्य करें।
9.
घर के मंदिर एवं उस के आस पास के स्थान
की सफाई स्वयं करनी चाहिए नौकर से नहीं करवानी चाहिए।
10.
घर की तथा अपने शरीर की स्वछता का ध्यान रखें।
11.
बेकार के तंत्र, मंत्र, टोटके आदि के चक्कर में न पड़ें। याद
रखें भगवान की पूजा सर्वश्रेष्ठ है तथा भगवान से ऊपर कोई नहीं।
12.
एक साल में कम से कम एक बार पत्नी के लिए स्वयं नए वस्त्र खरीद
कर लाएँ एवं साल में कम से कम एक बार उसे उपहार अवश्य दें।
13.
ब्रह्म मुहूर्त में (मुख्य रूप से सूर्योदय से
108 मिनट पहले) एवं संध्या के समय (मुख्य रूप से सूर्यास्त से 108 मिनट बाद) शारीरिक सम्बन्धों से परहेज करना चाहिए।
14.
घर के किसी भी व्यक्ति को मुख्य द्वार की और पैर पसार कर नहीं लेटना चाहिए।
15.
जिस बिस्तर पर घर के पत्नी-पत्नी सोते हों वो बिस्तर केवल छोटे बच्चों के साथ
साझा करना चाहिए मेहमानो के सोने का प्रबंध उस बिस्तर पर न करें शादिशुदा लड़की व
दामाद का भी नहीं। आवश्यकता पड़ने पर पुत्र एवं पुत्रवधू उस का इस्तेमाल कर सकते
हैं।
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